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महाकाल मंदिर को एक महीने में चार करोड़ की अतिरिक्त आय, वीआईपी के फ्री दर्शन बंद करने से हुआ लाभ
श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष ने बताया कि मंदिर में वर्तमान मे प्रोटोकॉल के तहत सशुल्क दर्शन की जो व्यवस्था सुचारु रूप से जारी है। उन्होंने बताया कि प्रतिमाह सशुल्क दर्शन से होने वाली इस आय से मंदिर में श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था को और भी सुदृढ़ किया जाएगा।
उज्जैन नगरी के श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाकाल लोक का निर्माण होने के बाद प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इसके साथ ही मंदिर समिति की आय में भी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन पिछले एक माह से मंदिर प्रबंध समिति के वीआईपी के लिए फ्री दर्शन बंद करने के निर्णय से महाकाल मंदिर को चार करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ हुआ है।
श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और उज्जैन कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि जनवरी महीने में समिति ने निर्णय लिया था कि मंदिर में प्रोटोकॉल के जरिए अब तक निशुल्क दर्शन की व्यवस्था बंद किया जाए। इसके साथ ही प्रोटोकॉल दर्शन के लिए प्रत्येक व्यक्ति से 250 रुपये का शुल्क लेने की व्यवस्था की गई थी। इस व्यवस्था के कारण ही मंदिर समिति को एक महीने में चार करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ हुआ है।
इस आय से दर्शन की व्यवस्था और सुदृढ़ की जाएगी
कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि मंदिर में वर्तमान मे प्रोटोकॉल के तहत सशुल्क दर्शन की जो व्यवस्था सुचारु रूप से जारी है। उन्होंने बताया कि प्रतिमाह सशुल्क दर्शन से होने वाली इस आय से मंदिर में श्रद्धालुओं की दर्शन व्यवस्था को और भी सुदृढ़ किया जाएगा। साथ ही आपने यह भी बताया कि महाकाल दर्शन के नाम पर यदि कोई व्यक्ति श्रद्धालु से रुपये वसूलता है तो शिकायत मिलते ही उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।
घोटाला उजागर करने की बात को कलेक्टर ने नकारा
बुधवार दोपहर को इस प्रकार की खबरें चल रही थीं कि श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने मंदिर में चल रहा एक घोटाला पकड़ा है। उसमें मंदिर समिति को प्रतिदिन लाखों रुपये का नुकसान हो रहा था।
इस खबर पर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा कि बाबा महाकाल के दरबार में घोटाले की बात सरासर गलत है। मंदिर में पहले प्रोटोकॉल दर्शन की व्यवस्था निशुल्क रूप से की जा रही थी। इसीलिए मंदिर समिति को प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था का कोई रुपया नहीं मिल पा रहा था। इसका मतलब यह नहीं की निशुल्क दर्शन व्यवस्था के नाम पर प्रतिदिन मंदिर में लाखों रुपयों का घोटाला हो रहा था। घोटाले की बात गलत है मंदिर में नई सशुल्क दर्शन व्यवस्था लागू होने से अब मंदिर को प्रतिदिन लाखों रुपयों की अतिरिक्त आय जरूर हो रही है।